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State Archives, Uttarakhand, Dehradun

Documentation is a valuable heritage for any State or Nation. Ancient and rare documents/records have their own historical, cultural, social and educational value. Documents, forms, records, photographs, maps etc. all come under as important documents/records. To protect these documentations as a heritage for the future generation comes under the responsibility of the archives. Taking into consideration the importance of these records and the pre-existing Regional Archives, Dehradun has been given the stature of State Archives.

Regional Archives, Nainital

Regional Archives, Nainital was established with the aim of decentralization, transfer and proper protection of documentation/records available from State Government’s various departments, divisions, district level offices and semi-official sources.

राज्‍य अभिलेखागार, उत्‍तराखण्‍ड - एक परिचय

अभिलेखागार की स्‍थापना वर्ष 1949 में इलाहाबाद में शिक्षा निदेशालय के अन्‍तर्गत हुई थी। कुछ समय पश्‍चात अप्रैल, 1951 में 53 महात्‍मा गांधी रोड, इलाहाबाद में अभिलेखागार का स्‍वतंत्र रूप से निर्मित भवन में स्‍थानान्‍तरण कर दिया गया। जुलाई, 1973 में लखनऊ में आधुनिक अभिलेखागार भवन के निर्माण के पश्‍चात मुख्‍य अभिलेखागार लखनऊ में स्‍थापित किया गया। कुछ समय पश्‍चात पर्वतीय विकास योजना के अन्‍तर्ग 1980 में देहरादून में क्षेत्रीय अभिलेखागार की स्‍थापना की गयी। उत्‍तराखण्‍ड राज्‍य बनाने के पश्‍चात यहाँ पर शोधार्थियों को और बेहतर अभिलेख सामग्री एवं अन्‍य सुविधाएं उपलब्‍ध कराने के उददेश्‍य से उत्‍तराखण्‍ड शासन के पत्रांक 176/सं0नि0/2003-19 संस्‍कृति/2003, दिनांक 15 अक्‍टूबर, 2003 द्वारा क्षेत्रीय अभिलेखागार, देहरादून को राज्‍य अभिलेखागार, उत्‍तराखण्‍ड का दर्जा प्रदान कर दिया गया।

राज्‍य अभिलेखागार के गठन के पश्‍चात अभिलेखों के रख-रखाव के लिए आधुनिकतम तकनीकी एवं उपकरणों का क्रय करके अभिलेखों के संरक्षण का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही अभिलेखों के रख-रखाव के लिए वैज्ञानिक और रासायनिक विधियों का प्रयोग किया जा रहा है। राज्‍य अभिलेखागार में वर्ष 1816 से 1949 तक के अभिलेखों का संरक्षण किया जा रहा है।

अभिलेखों का महत्‍व

अभिलेख किसी भी समाज के सांस्‍कृतिक विरासत, प्रजातंत्र एवं स्‍वतंत्रता के परम्‍पराओं तथा आदर्शों का संग्रहीत प्रमाण होता है। अभिलेख सभ्‍यता का मूर्त रूप होता है। इसके संरक्षण एवं देखभाल का तात्‍पर्य मनुष्‍य की सांस्‍कृतिक विरासत की देखभाल एवं संरक्षण करना होता है। उत्‍तराखण्‍ड में उपलब्‍ध सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण अभिलेख स्‍वतंत्रता संग्राम एवं राजस्‍व से संबंधित है। इन अभिलेखों में स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं संविधान निर्माताओं की वह मान्‍यताएं एवं आकांक्षाएं विद्यमान है, जिनके लिए उन्‍होंने संघर्ष किया था। राजस्‍व अभिलेखों में तत्‍कालीन प्रशासनिक नीतियों एवं नियमों की व्‍याख्‍या है। प्रजातांत्रिक नियंत्रण के लिए प्रशासनिक अभिलेखों का अत्‍यधिक महत्‍व होता है।

अभिलेखागार का प्रमुख उददेश्‍य राजकीय कार्यालयों तथा अर्द्ध राजकीय स्रोतों से उपलब्‍ध अप्रचलित अभिलेखों का अभिलेखागार में स्‍थानान्‍तरण एवं वैज्ञानिक संरक्षण करना होता है। साथ ही शोध छात्रों को शोध संबंधी अभिलेख उपलब्‍ध कराना, समय-समय पर शासन को वांछित सूचनाएं उपलब्‍ध कराना, अभिलेखों की छायाप्रतियों को आवश्‍यकतानुसार शोध छात्रों को प्रदान करना एवं व्‍यक्तिगत अधिकारों से दुर्लभ पाण्‍डुलिपियों एवं प्रपत्रों को प्राप्‍त करना है। उक्‍त कार्यों की सम्‍पूर्ति हेतु समय-समय पर विभिन्‍न सरकारी कार्यालयों में सर्वेक्षण किया जाता है। अभिलेखागार का एक सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण कार्य जन-सामान्‍य को अभिलेखों के महत्‍व के प्रजि जागरूक करने हेतु अभिलेख प्रदर्शनी का समय-समय पर आयोजन किया जाता है। इन आयोजनों में विद्यार्थियों में उत्‍तराखण्‍ड के सामाजिक, आर्थिक एवं सामयिक विषयों की जानकारी हेतु अभिलेखों से संबंधित सामान्‍य ज्ञान प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है। अभिलेखागार में वर्ष 1816 से 1957 तक के उत्‍तराखण्‍ड के विभिन्‍न जिलाधिकारी कार्यालयों से स्‍थानान्‍तरित किये गये अभिलेख संरक्षित किये गये है। इनमें सर्वाधिक अभिलेख देहरादून जिलाधिकारी कार्यालय से स्‍थानान्‍तरित किये गये है। इसके अतिरिक्‍त नैनीताल क्षेत्रीय अभिलेखागार में संरक्षित स्‍वतंत्रता संग्राम से पूर्व प्रमुख पत्रिकाएं चांद, सरस्‍वती, गढवाली सामाचार पत्र, आगरा से प्रकाशित सैनिक समाचार पत्रों को भी यहां स्‍थानान्‍तरित करके उनका संरक्षण किया जा रहा है। अभिलेखागार उत्‍तराखण्‍ड के स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानियों के स्‍वतंत्रता संग्राम से संबंधित संस्‍मरणों को ऑडियो/वीडियो करके उन्‍हें सुरक्षित रखने का कार्य करता है।

अभिलेख नीति

भारतीय ऐतिहासिक अभिलेख आयोग ने वर्ष 1966 में एक प्रस्‍ताव पारित करके संस्‍तुति की थी कि ऐसे सरकारी अभिलेख 30 वर्ष पुराने है, को शोध कार्यों हेतु शोध छात्रों को सुलभ कराया जाये और इस संबंध में कोई प्रतिबन्‍ध न लगाया जाए। भारत सरकार के परामर्श के अनुसार ऐसे अभिलेख जो 30 वर्ष प्राचीन हैं एवं राज्‍य सरकार द्वारा जनहित में शोध छात्रों के लिए उपयुक्‍त नहीं है, उन्‍हें वर्गीकृत करके राज्य अभिलेखागारों में स्‍थानान्‍तरित कर दिया जाए। शासनादेश सं0 1182/चार-8(10)/73, दिनांक 31.3.74 द्वारा यह भी निर्देशित है कि सभी सरकारी कार्यालय अभिलेखों के स्‍थाई संरक्षण हेतु 30 वर्ष से अधिक पुराने अभिलेखों को राज्‍य अभिलेखागारों में स्‍थानान्‍तरित कर दे। यह नीति उच्‍च न्‍यायालय, राज्‍यपाल सचिवालय, मंत्रिमण्‍डल सचिवालय, लोक सेवा आयोग के अतिरिक्‍त राज्‍य सरकारों के सभी कार्यालयों/विभागों में लागू होगी।

अभिलेखों के अनतर्गत दस्‍तावेज, रोल्‍स, प्रपत्र, पत्रावलियां, वाल्‍यूम्‍स, माइक्रोफिल्‍मस, फोटोग्राफस, चार्ट प्‍लान, मानचित्र, टेप इत्‍यादि सामग्री सम्मिलित है। अभिलेखों के रख-रखाव हेतु अभिलेख कर्मियों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जायेगा। राज्‍य सुरक्षा से संबंधित अभिलेखों/पत्रावलियों को वर्गीकृत अभिलेखों की श्रेणी में रखा जायेगा। किसी विशेष पत्रावली को विभाग/कार्यालय अपने यहां निदेशक, राज्‍य अभिलेखागार के परामर्श से रख सकता है।