उत्तराखण्ड की गौरवमयी लोक पारम्परिक एवं पौराणिक अध्यात्मिक लोक सांस्कृतिक विरासत भारत वर्ष में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में अपना अलग स्थान रखती हैा अनादिकाल से यह भूमि भारती दर्शन, चिंतन, मनन, अध्यात्म, साधना तथा धर्म एवं संस्कृति का केन्द्र ही हैा पवित्र गंगा-यमुना के उदगम स्थल तथा मनीषियों एवं ऋषियों की तपस्थली, वेदपुराणों के रचना केन्द्र, देवभूमि के नाम से ख्याति प्राप्त इस क्षेत्र को विशेष महत्व दिया गया हैा धर्म और दर्शन के साथ-साथ यहां के साहित्य, कला एवं संस्कृति से जुडे हर पहलुओं ने भी सहस्त्र वर्षों से भारतीय संस्कृति को परिष्कृत किया हैा
संस्कृति विभाग का मुख्य उददेश्य राज्य की ऐतिहासिक, पुरातात्विक एवं सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण संवर्धन एवं उनका सर्वागीण विकास करना हैा इसी क्रम में राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के रख रखाव एवं उन्नयन हेतु संगीत, नृत्य, नाटक, लोकसंगीत, लोकनृत्य, लोककला आदि का विकास तथा इनका व्यापार प्रचार-प्रसार, प्राचीन पुरातात्विक स्थलों एवं स्मारकों का संरक्षण, सर्वेक्षण, अनुरक्षण एवं प्राचीन अभिलेखों व दुर्लभ पांडुलिपियों को संगृहीत कर उनका वैज्ञानिक तरीके से संरक्षण तथा उत्तराखण्ड की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरों को सुरक्ष्ज्ञित रखना आदि महत्वपूर्ण कार्यों का संपादन करना हैा
इन महत्वपूर्ण कार्यों के क्रियान्वयन से विभाग की संस्कृति को अक्षुण बनाये रखने के साथ-साथ भावी पीढी को अपनी संस्कृति के प्रति अभिरूचि उत्पन्न करने का कार्य भी करता हैा